नई दिल्ली,Localnewsofindi-लॉकडाउन के बाद से ही देश और दुनिया में डिप्रेशन को लेकर चर्चा बढ़ गई है। सुशांत सिंह राजपूत और दूसरे कई सेलेब्स के बाद अब खुदकुशी करने वालों की फेहरिस्त में सीबीआई के पूर्व निदेशक अश्विनी कुमार का नाम भी जुड़ गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी मौत की वजह भी डिप्रेशन ही रही है।
हालांकि, इन सभी की उम्र ज्यादा थी, लेकिन किशोरों को लेकर भी विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। संस्था के अनुसार, 15 से लेकर 19 साल के बच्चों की मौत की तीसरी सबसे बड़ी वजह सुसाइड है और डिप्रेशन किशोरों के बीच बीमारी की सबसे बड़ी वजहों में से एक है।
इसके अलावा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के 2019 का डेटा बताता है कि 2019 में कुल 1 लाख 39 हजार 123 लोगों ने सुसाइड की थी, इसमें छात्रों की संख्या 10 हजार 335 थी यानी कुल मामलों का 7.40%।
सबसे ज्यादा सुसाइड 18 से 30 साल की उम्र के लोगों ने की। इस एज ग्रुप के 48 हजार 774 लोगों ने सुसाइड की थी। जबकि, 18 साल से कम उम्र के 9 हजार 613 लोगों ने खुदकुशी की थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया में हर साल करीब 8 लाख लोग सुसाइड कर लेते हैं यानी हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति खुदकुशी कर रहा है।
66 स्टडीज के एनालिसिस से पता लगे सुसाइड के कारण और बचाव
- जर्नल ऑफ चाइल्ड एंड एडोलसेंट साइकेट्रिक नर्सिंग में प्रकाशित एनालिसिस में 66 अलग-अलग स्टडीज को शामिल किया गया था। यह स्टडीज किशोरों में आत्महत्या के व्यवहार को लेकर ही की गईं थीं। इन स्टडीज को एनालिसिस कर शोधकर्ताओं ने यह जाना कि किशोरों में खुदकुशी का जोखिम बढ़ने का कारण क्या है।
- एनालिसिस के अनुसार, किशोरों में खुदकुशी के व्यवहार के जोखिम को बढ़ाने के आंतरिक कारण स्मार्टफोन, सही पोषण नहीं मिलना, महावारी की दिक्कतें, खराब लाइफस्टाइल, सोने का खराब पैटर्न और खुद मुश्किलों का सामना नहीं कर पाना है। बाहरी कारणों में पैरेंट्स की पुरानी मानसिक स्थिति, परिवार में बातचीत नहीं होने या और सामाजिक परेशानियां शामिल हैं।
तरीके जो किशोरों में सुसाइड के जोखिम को कम कर सकते हैं
- एनालिसिस में पता चला है कि सार्थक जीवन, सही पोषण, पैरेंट्स और बच्चों में बातचीत, धार्मिक होना, किताबें पढ़ना और फिल्में देखना बच्चों और किशोरों में सुसाइडल बिहेवियर को कम कर सकते हैं।
- इंडोनेशिया में यूनिवर्सिटी ब्राविजया की हेनी डी विंडरवाटी ने कहा "दूसरों को प्यार करना जरूरी है, लेकिन खुद को प्यार करना बहादुरी। खुद को प्यार करने में डरे नहीं। किसी और के लिए लड़ाई करने से पहले आपको खुद के लिए लड़ना होगा।"
ऐसे पाएं डिप्रेशन से निजात
- राजस्थान के उदयपुर स्थित गीतांजलि हॉस्पिटल में असिस्टेंट प्रोफेसर और साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर शिखा शर्मा बताती हैं कि हमारे समाज में किसी व्यक्ति की इतनी खूबियां गिना दी जाती हैं कि अगर कोई दुख है तो बता भी नहीं पाता है।
- उन्होंने कहा कि अगर बच्चों के लिहाज से देखा जाए तो बचपन से ही बच्चे को पैंपर कर बताया जाता है कि तुम ये कर सकते हो और वो कर सकते हो। ऐसे में बच्चा पैरेंट्स के प्रेशर के कारण भी खुद को व्यक्त नहीं कर पाता है। डॉक्टर शर्मा कहती हैं कि डिप्रेशन का गंभीर स्तर सुसाइड में आता है।
ये कुछ संकेत हैं, जो सुसाइड के बारे में सोच रहे व्यक्ति में नजर आ सकते हैं....
- अकेले रहना: अगर कोई व्यक्ति किसी कारण आत्महत्या के बारे में सोच रहा है तो वो खुद को अलग रखने लगेगा। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सुसाइडल थॉट्स के मामले में यह सबसे बड़े संकेतों में से एक है। पहले लोगों से हमेशा खुश होकर मिलने वाला
अगर अचानक खुद को अकेला रखने लगे, तो यह चिंता वाली बात है।
- बातों में संकेत: सुसाइड के बारे में सोच रहे व्यक्ति से बात करने पर आप महसूस करेंगे कि वह लगातार दुखभरी बातें कर रहा है। उसकी बातों में आपको निराशा नजर आएगी। अगर आप अपने करीबी की व्यवहार या बात करने के तरीकों में कुछ बदलाव देख रहे हैं तो सतर्क हो जाएं।
- सुसाइड से संबंधित चीजें देखना या सर्च करना: यह भी एक बड़ा संकेत हो सकता है। अगर आप सुसाइडल थॉट से गुजर रहे व्यक्ति के मोबाइल की इंटरनेट हिस्ट्री देखेंते, तो हो सकता है आपको सुसाइड से जुड़ी इंटरनेट सर्च नजर आएं। वैसे तो किसी के भी मोबाइल को देखना गलत बात है, लेकिन अगर आप दोस्त या करीबी के अजीब व्यवहार को महसूस कर रहे हैं, तो इजाजत लेकर फोन की एक बार जांच करना मददगार हो सकता है।
- मायूसी: खुश रहने वाला व्यक्ति ज्यादातर वक्त अगर मायूस रहने लगे तो बात चिंता की हो सकती है। हो सकता है कि आत्महत्या के बारे में सोच रहे व्यक्ति को किसी भी चीज में मजा न आए। फिर भले ही वह चीज उसकी पसंदीदा हो। ऐसे लोग हर वक्त मायूस रह सकते हैं और खुशी के मौके पर भी दुखी नजर आ सकते हैं।
- बच्चों में चिड़चिड़ापन: एक्सपर्ट्स के मुताबिक, आत्महत्या के ख्याल से गुजर रहे बच्चे आमतौर पर चिड़चिड़े हो जाते हैं। उन्हें छोटी से छोटी बात पर गुस्सा आने लगता है। ऐसे में अगर पैरेंट्स या घर के दूसरे सदस्य बच्चों के व्यवहार में बदलाव देख रहे हैं, तो बच्चों पर नाराज न हों। उनसे बात करने की कोशिश करें।
7 तरीके सुसाइडल थॉट्स से जूझ रहे व्यक्ति को सामान्य बनाने में मदद कर सकते हैं....
- अकेला न छोड़ें: अगर आपको लगता है कि आपका साथी किसी तरह की परेशानी से जूझ रहा है, तो उन्हें कभी भी ज्यादा समय के लिए अकेला न छोड़ें। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ऐसे लोग अकेले रहना का मौका तलाशते हैं, ताकि खुद को नुकसान पहुंचा सकें।
- बातचीत करें: बातचीत करना बहुत जरूरी होता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, किसी करीबी से बातचीत करने के कारण हम मन की बातों को बाहर निकाल देते हैं और हल्का महसूस करते हैं। बातचीत करने से हमारे अंदर पॉजिटिविटी भी बढ़ती है।
- अपनापन जताएं: कई बार हम किसी दोस्त या करीबी से बातचीत के दौरान महसूस करते हैं कि वे केवल औपचारिकता निभा रहे हैं। ऐसे में सुसाइडल थॉट्स से जूझ रहे व्यक्ति के साथ हर वक्त अच्छा व्यवहार करें और उन्हें यह एहसास दिलाते रहें कि आप उनके साथ हैं।
- क्रिएटिव हॉबी: कोई भी नई क्रिएटिव हॉबी आपके लिए मददगार हो सकती है। आप चाहें तो पेंटिंग, बागबानी या स्पोर्ट्स जैसी किसी भी हॉबी को शुरू कर सकते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इससे शरीर में स्ट्रेस कम होता है।
- पॉजिटिविटी लाएं: हमेशा बुरी खबरों या बुरी चीजों के बीच रहना बंद कर दें। कोशिश करें कि आप अच्छी किताबें पढ़ें या फिल्में देखें। हमेशा चीजों को लेकर सकारात्मक रहें और बुरी चीजों से दूरी बना लें।
- माइंडफुलनेस मेडिटेशन: एक्सपर्ट्स योग और ध्यान की भी सलाह देते हैं। डॉक्टर शर्मा के अनुसार, आप जो भी काम करें उसे पूरी तरह महसूस करें। जैसे सांस ले रहे हैं तो सांस के नाक के जरिए फेफड़ों तक जाने की प्रक्रिया को महसूस करें। हर एक गतिविधि को पूरी तरह फील करें।
- परिवार का सपोर्ट: मानसिक तौर पर परेशान व्यक्ति के लिए परिवार का सपोर्ट बहुत जरूरी होता है। अगर आपके परिवार का सदस्य किसी तरह से परेशान है, तो नाराज होने के बजाए उनकी बात सुनें। अगर आप उनकी बातों को सुनने के बजाए खराब तरह से जवाब देंगे, तो यह उन्हें अंदर से और कमजोर बना देगी।
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